नीलम शनि का रत्न होता है। नीलम रत्न वृष, तुला, मकर, कुम्भ, मिथुन और कन्या लग्न की कुंडली वाले जातको को ही धारण करना चाहिए। इन लग्नो में शनि योग कारक ग्रह होते है, इसलिए वृष, तुला, मकर, कुम्भ, मिथुन और कन्या लग्न के जातक निश्चित तोर पर नीलम रत्न धारण कर सकते है।
नीलम रत्न से वृष लग्न वालो को फायदें
वृष लग्न में शनि नौवें स्थान और दसवें स्थान के मालिक होता है नौवां स्थान भाग्य का होता है और दसवां स्थान कैरियर, पिता और मान सम्मान का होता है। इसलिए वृष लग्न वालो को नीलम रत्न धारण करने से भाग्य उदय होता है। भाग्य में वृद्धि होती है। मेहनत के अनुसार लाइफ में तरक्की प्राप्त होती है। मेहनत का फल पूर्ण रूप से प्राप्त होता है। वृष लग्न में नीलम रत्न धारण करने से कैरियर में तरक्की प्राप्त होती है। मान सम्मान में वृद्धि होती है। पिता के साथ अच्छे रिलेशन रहते है। हड्डी, नसे, नाड़ी से सम्बंधित समस्या नहीं होती है। लम्बी दूरी की यात्रा करने के योग बनते है। विदेश यात्रा के योग बनते है। धर्म के प्रति आस्था में वृद्धि होती है। अतः वृष लग्न वालो के लिए नीलम रत्न धारण करना बहुत लाभदायक रहता है।
नीलम रत्न से तुला लग्न वालो को फायदें
तुला लग्न में शनि चौथे स्थान और पांचवे स्थान के मालिक होते है। चौथे स्थान माता, प्रॉपर्टी, जन्म स्थान, वेहिकल और सुख साधन का होता है और पांचवा स्थान संतान, एजुकेशन, पेट, मित्र, लव अफेयर और प्लानिंग का होता है। इसलिए तुला लग्न में शनि योग कारक ग्रह होते है इसलिए तुला लग्न वालो को भी शनि का रत्न नीलम धारण करना चाहिए। नीलम धारण करने से प्रॉपर्टी के योग बनते है प्रॉपर्टी सुख प्राप्त होता है। वेहिकल और सुख साधन प्राप्त होने के योग बनते है माता से अच्छे रिलेशन होते है। मन शांत रहता है। संतान सुख प्राप्त होता है हायर एजुकेशन में लाभ होता है। लव अफेयर में लाभ होता है। मित्र अच्छे बनते है। प्लानिंग सफल होती है। पेट से सम्बंधित समस्याए समाप्त हो जाती है। अतः तुला लग्न वालो के लिए नीलम रत्न धारण करना बहुत लाभदायक रहता है।
नीलम रत्न से मिथुन लग्न वालो को फायदें
मिथुन लग्न में शनि आठवें स्थान और नौवें स्थान के मालिक है आठवां स्थान आयु, गुप्त रोग, अचानक धन प्राप्ति का होता है और नोवा स्थान भाग्य का होता है इसलिए मिथुन लग्न में भी शनि योग कारक ग्रह होते है इसलिए मिथुन लग्न के जातक भी शनि का रत्न नीलम निश्चित तोर पर धारण कर सकते है। नीलम धारण करने से भाग्य उदय होगा। भाग्य में वृद्धि होगी। मेहनत के अनुसार भाग्य का साथ प्राप्त होगा। आयु लम्बी होगी। अचानक धन प्राप्ति के योग बनेंगे। गुप्त रोगो से बचाव होगा। अतः मिथुन लग्न वालो के लिए नीलम रत्न धारण करना बहुत लाभदायक रहता है।
नीलम रत्न से कन्या लग्न वालो को फायदें
कन्या लग्न में शनि पांचवें स्थान और छठे स्थान के मालिक होते है। पांचवें स्थान संतान, एजुकेशन, पेट, मित्र, लव अफेयर और प्लानिंग का होता है और छठा स्थान रोग, कर्ज और शत्रुओ का होता है। कन्या लग्न में भी शनि योग कारक ग्रह होते है। कन्या लग्न में नीलम रत्न धारण करने से संतान सुख प्राप्त होता है हायर एजुकेशन में लाभ होता है। लव अफेयर में लाभ होता है। मित्र अच्छे बनते है। प्लानिंग सफल होती है। पेट से सम्बंधित समस्याए समाप्त हो जाती है। शत्रु समाप्त होते है। कर्ज समाप्त होता है। रोग समाप्त होते है। बड़े रोगो से बचाव होता है। अतः कन्या लग्न वालो के लिए नीलम रत्न धारण करना बहुत लाभदायक रहता है।
नीलम रत्न से मकर लग्न वालो को फायदें
मकर लग्न में शनि लग्नेश होते है और दूसरे स्थान के मालिक होते है लग्न से स्वास्थ्य का विचार किया जाता है और दूसरा स्थान धन, परिवार, आंख, गले का होता है। मकर लग्न में शनि योग कारक होते है और मकर लग्न वालो को नीलम रत्न जरूर धारण करना चाहिए। नीलम रत्न धारण करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। शरीर स्वस्थ्य रहता है। पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है। धन आता है धन संचय होने के योग बनते है और आंख और गले से जुडी समस्या होती है। अतः मकर लग्न वालो के लिए नीलम रत्न धारण करना बहुत लाभदायक रहता है।
नीलम रत्न से कुम्भ लग्न वालो को फायदें
कुम्भ लग्न में शनि लग्न के मालिक होते है और बारहवें स्थान के मालिक भी होते है। लग्न से स्वास्थ्य का विचार किया जाता है और बारहवें स्थान खर्च, विदेश यात्रा, नींद का होता है इसलिए कुम्भ लग्न वालो को भी नीलम रत्न धारण करना चाहिए। नीलम रत्न धारण करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। शरीर स्वस्थ्य रहता है। विदेश यात्रा के योग बनते है नींद से जुडी समस्या समाप्त होती है। व्यर्थ के खर्चो से बचवा होता है। फिजूल में धन खर्च नहीं होता है। अतः कुम्भ लग्न वालो के लिए नीलम रत्न धारण करना बहुत लाभदायक रहता है।
नीलम रत्न धारण करने की विधि
नीलम रत्न शुक्ल पक्ष को शनिवार की शाम को सूरज ढलने के बाद धारण करते हैं। इसे सीधे हाथ की मध्यमा ऊँगली में पहनना चाहिए। नीलम की अंगूठी पहनने से पहले इसे कच्चे दूध और गंगाजल में डालकर शुद्ध करें। इसके बाद एक नीले कपड़े के ऊपर इस अंगूठी को रख लें और शनि के मंत्र ऊँ प्रां प्रीं प्रों सः शनेश्चराय नम: की एक माला का जाप करके नीलम रत्न को धारण करे।