माता सीता की साधना स्थली सदानीरा गंडक नदी

माता सीता की साधना स्थली सदानीरा गंडक नदी की गोद में लेटा बगहा प्राकृतिक संपदा और ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस अनुमंडल में नारायणी तमसा स्वर्णरेखा नदी के त्रिवेणी संगम पर स्थित वाल्मीकि नगर पवित्र रामायण के संकलन और माता सीता की वियोग स्थली तथा महान योद्धा लव-कुश की जन्म स्थली के रूप में जाना जाता है वर्तमान में या भूखंड अकूत प्राकृतिक सुंदरता को समेटे एक पर्यटन स्थल के रूप में विख्यात है जहाँ भारत-नेपाल संस्कृति का मनोरम संयोग यह नजर आता है शिवालिका पहाड़ी के दोन में अवस्थित होने के कारण दोमट और उपजाऊ मिट्टी का संकलन इसे बिहार के उर्वरकता का द्योतक बनाती है जिसे यहां के श्रम नायक एवं संभवत विश्व की सबसे प्राचीनतम थारू एवं माझी समुदाय के लोगों के द्वारा कृषक संस्कृति के रूप में अपनाया गया है पवित्र रामायण की यह संकलन स्थली त्रिवेणी के संगम पर आदि कवि वाल्मीकि के जन्मदिवस को मौनी अमावस्या के दिन विशाल मेले के रूप में आयोजित करती है गांधी सत्याग्रह के द्वारा तिनकठिया प्रथा को उन्मूलन करने वाली यह कर्म युद्ध भूमि चंपारण सत्याग्रह के रूप में इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों को अपने में समाहित किया भितिहारवा आश्रम आज भी मानवीय संवेदनाओं को पवित्र करने का कार्य करता है.
इस अनुमंडल में अवस्थित रामनगर प्रखंड मुख्यालय से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामेश्वर पर्वत श्रृंखला भरथरी कुटी ,कालिका देवी मंदिर एवं नेपाल के चितवन उद्यान के मनोहर दृश्यों के लिए विख्यात है एवं पर्यटन के लिए एक अपार संभावना प्रदान करता है
विश्व की सर्वाधिक परिधि वाला सोपनाकार बौद्ध स्तूप एवम अशोक स्तंभ अनुमंडल के लौरिया प्रखंड में अवस्थित है जो खुद में बहुत सारी ऐतिहासिक रहस्य को समेटे हुए

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