खादी खाकी और अपराधी इन तीन शब्दों में ही समाहित है दियारा का पूरा इतिहास

खादी खाकी और अपराधी इन तीन शब्दों में ही समाहित है दियारा का पूरा इतिहास। जब-जब हुकूमत के खिलाफ बगावत का पर्चा बुलंद हुआ तो इस इलाके के बागियों ने सीधे दियारा का रुख किया। कहते हैं एक वक्त इस इलाके की मिट्टी में इतनी गर्मी थी कि जब सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था तो बागीयों ने खुद की ही सरकार बना डाली। पिछले कई वर्षों तक ये धरती समाज और कानून के लिए सिरदर्द बनी रही। अन्याय और शोषण के खिलाफ विद्रोह करने वाले दस्यु भले ही पुलिस के फाइलों में डकैत के नाम से जाने जाते थे लेकिन उनके नेक कामों से लोग उन्हें सम्मान से बागी ही मानते थे।

कोई समाज के सामंती व्यवस्था से परेशान होकर तो कोई आतंक के दम पर कालांतर में सियासत करने के लिए दियारा में कूद पड़ा। प्रतिष्ठा प्रताड़ना और प्रतिशोध दियारा के फिजाओं में समाहित है। दीयारा का जिक्र आते ही दिमाग में बागी बंदूक और बदले की तपिश दिमाग में कौधने लगता है। दियरा के दामन में लगे दाग ने इस तमाम इलाके को विकास के मामले में काफी पीछे कर दिया ,लेकिन आज दियारा नई करवट ले रहा है ।कभी डाकू की दहाड़ और गोलियों की गड़गड़ाहट से थर्राने वाला दियरा की फिजाओं में अब शांति का पैगाम सरकार के प्रयास से गुंजायमान होता प्रतीत हो रहा है कुछ दस्यु या तो परलोक सिधार गए या फिर आपस में प्रतिद्वंद्विता के शिकार हो गए या फिर आत्मसमर्पण कर शांति की राह को चुना और समाज ने उन्हें हाथों हाथ स्वीकार भी किया।

कहने को दे रहा सिर्फ एक मिट्टी है सिर्फ रेत ही रेत का एक समंदर है लेकिन दियरा क्रांति की भी धरती है। दियरा के बाहों में हमेशा संघार झूलता रहा है अमरत्व फूलता रहा है। जरूरत है दियरा को भारत की सबसे समृद्ध भूमि के रूप में स्वीकार करने की, क्योंकि यहां पर गन्ना की फसल धान की फसल गेहूं की फसल सरसों की फसल बहुत अच्छी तादाद में पैदावार हुआ करती है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published.