खान सर के बचपन से लेकर शिक्षक बनने तक की पूरी कहानी

बेहतर से बेहतर होने का तलाश करे , मिल जाए नदी तो समुंदर की तलाश करें।

टूट जाते है शीशे पत्थर की चोट से , पत्थर टूट जय ऐसे सीसे की तलाश करें।

हम बात कर रहे है , खान सर जिनको फैजल खान के नाम से भी जाना जाता है । इनका जन्म उत्तर प्रदेश, गोरखपुर जिला में हुआ है।  खान सर का जन्म एक छोटे से परिवार में हुआ है । बचपन में खान सर बहुत ही बदमाश थे । उनकी मम्मी इनसे बहुत ही परेशान रहती थी।  उनके परिवार में बहुत लोग थे ।

शुरुआत के दिनों में वो अक्सर गुल्ली ढांडा खेला करते थे और रोज किसी न किसी से लड़ाई कर लिया करते थे , जिससे उनकी मम्मी काफी परेशान रहती थी।  वो अक्सर इनके जीवन के बारे में सोचा करती थी , की ये ( खान सर ) क्या करेंगे । बचपन में आर्थिक इनकम ज्यादा न होने के चलते, हर चीज की लिमिट थी। उनके पापा अलग अलग काम करते रहे, जैसे शिप बिल्डिंग , पाइप लाइनिंग , कभी विदेश में।  जिससे उनके पपप वो कभी स्टेबल नहीं रहे।  और इसके चलते उनके परिवार में शुरू में बहुत परेशानी हुई।

खान सर ने जब 8वी क्लास पास किये तोई उनको फ़ौज में जाने की जनून थी।  उन्होंने फिर 9 वी में सैनिक स्कूल का एग्जाम दिए , जिसमे वो अशफल रहे।  उसके बाद उन्होंने पॉलिटेक्निक की एग्जाम  दिए , जिसमे उनका स्कोर  अच्छा नहीं आया।  फिर उन्होंने अपना मैट्रिक और इंटर का एग्जाम दिया।  फिर वो  AIEEE, IIT, NDA का एग्जाम  दिए  । उन्होंने NCC किया हुआ था जिसका फ़ायदा उन्हें बहुत मिला।

उनका हाथ थोड़ा सा टेड़ा है , जिसके चलते वो मेडिकल किसी सिलेक्शन से आउट हो जाते। ये उनको पत्ता चल चूका था। । और हम सबको ये मालूम है की मेडिकली अनफिट होने से अप् फ़ौज में जा नहीं सकते , ये खान सर की बहुत बड़ी प्रोबलम रही ।

आर्थिक इनकम काम होने के कारण वो आगे कुछ कर नहीं कर सकते थे , और एक नार्मल स्कूल से मेट्रिक और इंटर की पढाई होने से उनका आगे बढ़ना काफी मुश्किल हो रहा था।

उनकी इस प्रॉब्लम में उनके तीन दोस्त जिनका नाम था सोनू , हेमंत , पवन ने उनका काफी साथ दिया । और इसके लिए खान सर अपने आप को हमेशा खुशनसीब  मानते है ।

हेमंत ने उनका साथ , पढ़ाने में दिया , हेमंत ने ही पहली बार खान सर को पहली बार होम टूशन के लिए इंतजाम किया । खान सर ने जी बचे को पहली बार  पढ़ाया  उसका परफॉरमेंस काफी अच्छा रहा।  जिसके बाद हेमंत ने एक कोचिंग में पहली बार 6 बच्चे को पढ़ाये। कुछ दिन पढ़ाने के बाद उनकी क्लास बच्चो को काफी पसंद आने लगा और बच्चो की संख्यां लगातार बढ़ती गयी।  कुछ दिन पढ़ाने के बाद , उन्होंने अपना KHAN GS RESEARCH कोचिंग सेंटर खोला।

कोचिंग सेंटर खोलने के बाद उनको कुछ दिन बहुत बड़ा प्रॉब्लम हुआ जो उनके साथ काम करने वाले के कारण हुआ  । फिर भी वो माने नहीं और फिर से एक नई शुरुआत की , शुरुआत होने के कुछ दिन बाद ही उनके कोचिंग सेंटर में बम चला , जिससे वो काफी आहत हुए।  बम चलने के बाद , उनके स्टूडेंट्स का काफी सहयोग रहा, बच्चे  खान सर के साथ कदम कदम पैर खड़े रहे।

खान सर भगवान पर बहुत विश्वास करते है , वो कहते है की आप दूसरे की CCTV कमरे से बच सकते है लेकिन ऊपर वाले के कैमरा से नहीं बच सकते । देखते देखते उन्होंने अपना लाइब्रेरी भी खोल दिया , जो पटना का सबसे बड़ा लाइब्रेरी बना। फिर कोचिंग सबसे बड़ा बना |

कोरोना के दौर में भी उन्हें एक बार फिर से प्रॉब्लम हुई।  लेकिन उन्होंने फिर अपने आप को सभी किया।  डिजिटल शिक्षा की कोई जानकारी न होते हुए भी खान सर ने बहु मेहनत किया और फिर एक बार देखते ही देखते उन्होंने ने अपना You Tube, Apps , Online education शुरू किया | आज खान सर डिजिटल इंडिया में अपना खास  नाम रखते है।

खान सर की दिल छू लेने वाली बातें

वो कहते है की , आदमी को लिफ्ट के तरह आगे नहीं बढ़ना चहिये, उसे सीढ़ियों से चलके आराम से बढ़ना चहिये । क्यूंकि सीढ़ियों से चलकर जो सकूँ मिलता है उसकी बात ही कुछ और होती है । जीवन में कभी भी अहंकार नहीं करनी चहिये और न ही दूसरे की बुराई करनी  चहिये।

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