आपको यह जानकर बहुत बड़ी हैरानी होगी की एक छोटी ही केंडिल जलाकर या एलेक्ट्रोइसिस परफॉर्म करके पनडुब्बी के अंदर साँस लेने लायक ऑक्सीजन कैसे बनाये जाती है ? जैसा की हम सभी जानते है की पनडुब्बी पानी के अंदर महीनो तक अंदर रहती है। लेकिन कभी आपने ये सोचा है की पनडुब्बी की अंदर काम करने वाले क्रू मेंबर्स को पानी के अंदर ऑक्सीजन कहाँ से मिलता है।
आइए इसके बारे में जानते है।
समुद्र में खरा पानी होने की वजह से अगर आपका इलेक्ट्रोइसिस करेंगे तो हाइड्रोजन और क्लोरीन गैस उत्पन्न होंगे | ऐसे में क्लोरीन गैस पनडुबी में काम करने वाले के लिए जानलेवा सबित हो सकती है | इसलिए पानी का इलेक्ट्रोइसिस करने से पहले रिवर्स ऑस्मोसिस के द्वारा पानी का डेजिग्नेशन किया जाता है |
और उसके बाद इलेक्ट्रोइसिस परफॉर्म करके ऑक्सीजन बनाया जाता है | पर इलेक्ट्रोसिस करने के लिए हमें बिजली की जरूरत होती है जो की पंडुबी में आसानी से उपलब्ध है | लेकिन मान लीजिये कि अगर पनडुबी में बिजली न हो तो ऐसी इस्थी में आप पनडुबी में एक मोमबती जलकर ऑक्सीजन का बना सकता है |
यह मोमबती कोई साधरण मोमबती नहीं है | इस मोमबती में दो केमिकल आयरन और सोडियम क्लोरिड, ऑक्सीजन बनाने के लिए इस्तमाल होते है | जब हम आयरन को जलाते हैं तो उसको जलाने के लिए ऑक्सीजन देना होती है जिसे बाइप्रोडक्ट के रूप में आयरन ऑक्साइड प्रोड्यूस होता है | और यह आयरन ऑक्साइड, सोडियम क्लोरिड के साथ रिएक्शन करके ऑक्सीजन का उत्पादन करता है | और इस तरीके से एक छोटी सी केंडल जलाकार बड़ी आसनी से ऑक्सीजन बना सकते हैं |