अनुसूचित जाति का शब्द अंग्रेजी सरकार के द्वारा ही आया है यह ” भारत सरकार अधिनियम 1935 में आया था”। इसमें ही अनुसूचित जाति शब्द की बात कही गई थी।
“अनुसूचित जाति” शब्द को पहली बार 1935 में अपनाया गया था, जब अंग्रेजों ने वैधानिक सुरक्षा उपायों के प्रयोजनों के लिए भारत सरकार अधिनियम में संलग्न एक अनुसूचित जाति में सबसे निचली रैंकिंग वाली हिंदू जातियों को सूचीबद्ध किया था।
19अप्रैल 1936 में अंग्रेज सरकार ने सरकारी अनुसूचित लाया जिसमें से कुछ अनुसूचित जाति स्थान घोषित किया गया जिसमें , असम,बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड आते है।
=)इस प्रकार से अनुसूचित जाति मुख्य रूप से सरकारी अधिनियम 1935 एवं 1936 में हुआ।
=) सबसे पहले अंग्रेज सरकार ने हीं किसी जाति को जनजाति और अनुसूचित जाति घोषित किया था।
=) जब 1950 में हमारा संविधान बना तब अनुसूचित जाति शब्द आया और उन जातियों को संविधान में सुनिश्चित कर लिया गया।
=) एक जाति को अनुसूचित जाति का सदस्य माना जाता है यदि वह उस जाति का जिसे संविधान के तहत क्षेत्र के लिए अनुसूचित जाति घोषित कर दिया गया है जिसका वह एक निवासी हैं।
अनुच्छेद 341 में सविधान जिसे भी अनुसूचित जाति घोषित कर देती है उस क्षेत्र का व्यक्ति अनुसूचित जाति का होता हैै।
=)एक जाति को केवल भारत सरकार के राष्ट्रपति के द्वारा अनुसूचित जाति के रूप में निर्दिष्ट किया जा सकता है |
अगर किसी व्यक्ति या जाति को सूचित में निर्दिष्ट किए जाने या बाहर करने का कोई भी प्रावधान केवल संसद के अधिनियम के माध्यम से किया जा सकता है।यह अनुच्छेद 341 में है।