“प्रेगनेंसी यानि गर्भवती ” यह एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर घर के सभी लोगो के मन में खुसी का अनुभव होता है । खासकर अगर हम बात करे एक वैवाहिक जीवन की तो “प्रेगनेंसी यानि गर्भवती ” की खबर पति , पत्नी , के साथ साथ सास , ससुर , माँ , बहन , भाई , और रिलेशनशिप वालो के लिए बहुत ही खुशी पल होता है ।
प्रेगनेंसी यानि गर्भवती शब्द घर के सभी लोग सक्रिय हो जाते है और एक गर्भवती महिला के साथ साथ घर के सभी लोग ऐसी सलाह देते है और काम करते है जिससे की बच्चा सेहतमंद , स्वस्थ और खुशहाल पैदा हो।
बच्चा सेहतमंद , स्वस्थ और खुशहाल पैदा हो , इसके लिए काफी सावधानियाँ बरतनी होती है । क्योंकि एक छोटी सी लापरवाही बहुत भरी पड़ सकती है । इसक्लये लिए जरुरी है की आप प्रेगनेंसी के दौरान बरतने वाली सारी सावधानियाँ से जागरूक हो । जैसे की कितनी मात्रा में पानी पिए , क्या खाना खाइये, क्या पहने , किस टाइप की दवा का सेवन करे , कितना देर टहलें , क्या व्यायाम करे , किस टाइम अल्ट्रासाउंड करवाए , बेबी की सेहत का कैसे ख्याल रखे , किस प्रकार की डॉक्टर से मिले , सेक्स कैसे करे । इस प्रकार के कई सारे चीजे है जो प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला को ध्यान देना चहिए।
आइये जानते है की प्रेगनेंसी की शुरुआत की दिनों में क्या करे।
आपने जैसे ही प्रेगनेंसी किट से यह कन्फर्म कर लिया की प्रेगनेंसी कन्फर्म है । तो यह बहुत ही खुशी की बात है। अब आपको घबराना बिलकुल नहीं है , न ही कंफ्यूज होना है है की क्या होगा । क्यूंकि काफी महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान काफी कंफ्यूज रहती हैं आने वाले समय में क्या होगा । लेकिन इस समय आपको बिलकुल धैर्य के साथ काम लेना होता है। क्यूंकि प्रेगनेंसी में शुरुआत की दिन से सावधानी आपके बच्चे को बच्चा सेहतमंद , स्वस्थ और खुशहाल पैदा होने में मदद करेगा।
प्रेगनेंसी कन्फर्म होने के कुछ दिनों में आप एक अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से मिले । अगर आप कोई दिक्कत महसूस कर रही है तो । अन्यथा आप शुरुआत के ३ महीनो में कोई जयदा दिक्कत नहीं महसूस क्र रही है तो डॉक्टर से मिलने की जरुरत नहीं है । प्रेगनेंसी के शुरुआत के दिनों में आपको कुछ कॉमन प्रॉब्लम जैसे जी मचलना , उलटी होना , कमजोरी फील होना , भूख न लगना हो सकता है। यह एक बहुत ही कॉमन प्रॉब्लम है ।
प्रेगनेंसी के शुरुआत के ३ महीने में आपको थोड़ा ज्यादा ध्यान देने के जरुरत है । आपको एक अच्छे एक अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना चहिए । स्त्री रोग विशेषज्ञ को अपनी सारी चीजे अच्छे से बताये । इस समय स्त्री रोग विशेषज्ञ आपकी ब्लड प्रेसर , CBC लेवल , हीमोग्लोबिन टेस्ट , वजन, थायराइड इत्यादि चेक करते है या टेस्ट करने की सलाह देते है । जिसमे वो गर्भ में देखते है की कितने बच्चे है , जो भ्रूण बना है वो सही है या गलत। साथ ही साथ बच्चे का क्या प्रोगेस है वो भी देखते है। दूसरा अल्ट्रासाउंड 11-१३ सप्ताह के बीच करते है जिसमे वो देखते है की बच्चे की कई चीजे देखी जाती है।
शुरुआत के 3 महीने की महत्वपूर्ण बातें
- ज्यादा व्यायाम न करे
- शुरुआत के 3 महीने में हमें पपीता, अनारस, अंगूर या बहुत ज्यादा गर्मी करने वाले चीजों को नहीं खाना चहिए।
- मछली का भी सेवन नहीं करना चहिए।
- जंक फूड बिलकुल न खाए
- Nutrition Diet खाए .
- ड्राई फ्रूट खाए
- फ्रूट खाए
- हरी सब्जियाँ ज्यादा खाए
- .नारियाल का पानी पिए
शुरुआत के 3 महीने में ज्यादा से ज्यादा Nutrient Rich फूड्स ही खाए। इससे जैसे की ड्राई फ्रूट में बादाम , काजू, अखरोट खाए। इसके अलावां फ्रूट खाए जैसे सेव ,अंगूर, संतरे, गाजर इत्यादि। सलाद भी ले सकते है । ज्यादा से ज्यादा पानी पीना अच्छा रहेगा । साथ ही साथ नारियाल का पानी पिए।
प्रेगनेंसी के चौथे महीने से छठे महीने तक सेहत का खास ध्यान रखना चहिए। क्यूंकि 3 महीने के बाद यानि चौथे महीने से बच्चे के मह्त्वपूर्ण अंगो का विकास होना शुरू हो जाता है। इन महीनो में प्रेग्नेंट महिला को भरपूर पोषक तत्त्व की जरुरी है। चौथे महीने से छठवे महीने के बीच प्रेग्नेंट महिला अनार , नारियल पानी , केला , अंडा , मछली , दाल , पालक खा सकती है। केसर और बादाम , दूध के साथ लेने पर यह शरीर में कैल्शियम की मात्रा को बढाता है , जो काफी अच्छा होता है। इसे शिशु स्वस्थ रहेगा और उसका प्रॉपर ग्रोथ भी होगा ।
चौथे महीने से छठे महीने के बीच की कुछ मह्त्वपूर्ण बातें
केसर और बादाम , दूध के साथ लेने पर यह शरीर में कैल्शियम की मात्रा को बढाता है , जो काफी अच्छा होता है । इससे बच्चा अच्छे से विकसित होता है।
- ड्राई फ्रूट सेवन करने से आपको ताकत मिलेगी और खून की कमी नहीं होगी।
- अनार , पालक और केला शरीर में आयरन , मिनरल्स और विटामिंस की कमी को दूर करता है।
- अंडा , मछली शिशु के मस्तिक की विकास और महिला के हार्मोन्स को बैलेंस रखता है।
- तेल मसाले की चीजे ज्यादा न खाए
सातवें महीने से नवें महीने के
प्रेगनेंसी के 6 महीने के बाद शिशु के सभी अंग परिपक्वा होने शुरू हो जाते है। ऐसे में प्रेग्नेंट महिला को वो चीज कहानी चहिए। जिससे बच्चे का विकास अच्छे से हो सके । इन महीनो में गई के शुद्ध घी का सेवन करना चहिए । इससे शिशु का विकाश सही तरीके से होगा और डिलीवरी में कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके अलावा अंडा , दूध , दही और पनीर का सेवन जरूर करना चहिए। इस समय पालक का सुप और अनार का जूस जरूर पीना चहिए।
पहले महीने से नवें महीने तक प्रेगनेंसी के के दौरान क्या सावधानियां बरते।
- प्रेगनेंसी के शुरुआत के तीन महीनो में पपीता न खाये और हो सके तोई नॉन वेज न खाये।
- तीसरे महीने से नवें महीनो तक सभी प्रकार के फल फ्रूट खाये केवल अन्नानास और पपीते को छोड़कर। यह शरीर के
- पोषक तत्वों को पूरा करेगा और कमजोरी भी दूर करेगा।
- तेल मसाले की चीजों को न खाये।
- भारी सामान कभी भी न उठाये
- पानी ज्यादा से ज्यादा पिए
- जंक फ़ूड बिलकुल न खाइये।
- सीढ़ियों पर आराम से चढ़ना
- सोने से 1 घंटे पहले खाना खाइये।
- चाय , कॉफी , कोल्डड्रिंक काम से काम पिए