बसंत पंचमी की कहानी

प्राचीन समय से ही भारत में पूरे साल को छह मौसमों में बांटा जा रहा है जिसमें वसंत मनचाहा मौसम रहा है।

जिसमें खेतों में सोने से चमकते सरसों, आम के पेड़ पर बोर आना, फूलों पर रंग-बिरंगी तितलियों का मंडराना। यह सब  सुखम दृश्य बसंत के मौसम में देखने को मिलते हैं। प्राचीन भारत में बसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए  माघ महीने में, माघ महीने के पांचवें दिन कामदेव  तथा विष्णु की पूजा होती है। जिसे हम बसंत पंचमी का त्योहार कहते हैं।

बसंत पंचमी का त्यौहार संपूर्ण देवी सरस्वती की आराधना को समर्पित है, परंतु कुछ कहानियां और वाक्य  है जो इस त्यौहार को अन्य समुदाय के लिए इस दिन को और महत्वपूर्ण बना देते हैं तो चलिए एक एक कर पौराणिक कथाओं और  कहानियों को विस्तार पूर्वक जानते हैं।

पौराणिक व प्रासंगिक कथा:-

बताया जाता है कि भगवान शिव की आज्ञा से भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की प्रारंभिक काल में मनुष्य व जीव-जंतुओं की रचना की। कुछ समय बाद वह जब अपनी सृष्टि का विचरण करने निकले तो उन्होंने देखा कि पृथ्वी पर तो सभी जीव जंतु, मनुष्य सभी मौन है वह अपनी  सृजनता से खुश नहीं हो पा रहे थे। उन्हें पृथ्वी पर कोई कमी लग रही थी और इस चिंता के निवारण के लिए वह भगवान विष्णु के पास पहुंचे।

 

ब्रह्म देव भगवान विष्णु को अपनी सारी चिंताएं बतलाते हैं। उसके बाद भगवान विष्णु उनकी सारी घटनाओं को सुनने के बाद कहते  है कि ब्रह्मदेव मैं आपकी इसमें कोई सहायता नहीं कर सकता परंतु चिंता का निवारण आदि शक्ति मां भगवती कर सकती हैं। इसके लिए हमें आदि शक्ति का आह्वान करना होगा।

 

भगवान विष्णु के आह्वान पर आदिशक्ति मां भगवती तुरंत ही प्रकट हो जाती है। मां भगवान विष्णु से पूछती है कि मैं आपकी किस प्रकार मदद  कर सकती हूं।

विष्णु जी मां भगवती को सारी घटना  विस्तार पूर्वक बताते हैं जिसके बाद मां भगवती कहती है। आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए। मैं आपकी सहायता जरूर करूंगी। इसके बाद ही आदिशक्ति मां भगवती के अंदर से एक  तेज  उत्पन्न होता है जो एक दिव्य नारी का रूप लेती है जिसके पहले हाथ में वीणा ,दूसरे हाथ में किताब, तीसरा हाथ वर मुद्रा में और चौथ हाथ में माला होती है।

 

दिव्य नारी बोलती है कि आप सभी को मेरा प्रणाम।  आप बताइए, मैं आप सब की कैसी सहायता कर सकती हूं। बह्मदेव कहते  हैं,देवी आपको सृष्टि में वाणी उत्पन्न करनी होगी। आपको अपनी वीणा झंकृत करनी होगी जिससे पृथ्वी वासी बोलने लगे। नदियां कल कल करके  बहने लगी। आपको हवाओं में से मौन को चीरता हुआ संगीत पैदा करना होगा। आपके प्रत्येक दिशा में ध्वनि को उत्पन्न करना होगा।

 

मां भगवती  कहती है मेरे तेज से उत्पन्न यह दिव्य नारी आज से ज्ञान और संगीत की देवी मां सरस्वती  कहलाएगी। और ब्रह्मा जी की आज्ञा से माता सरस्वती ने सृष्टि पर ध्वनि उत्पन्न करी और देखते ही देखते सभी पृथ्वी वासी बोलने लगे।

 

सिखों के लिए भी यह दिन बेहद महत्व रखता है। माना जाता है कि बसंत पंचमी के शुभ दिन पर गुरु गोविंद जी (सिखों के दसवें गुरु) का विवाह हुआ था।

बसंत पंचमी के कुछ रोचक तथ्य:

★बसंत पंचमी का त्यौहार बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है।

 

★यह त्योहार शैक्षणिक संस्थाओं में जैसे विद्यालय, कॉलेज और कोचिंग इत्यादि में यह त्योहार बेहद ही  महत्व रखता है। क्योंकि माता सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है और हम इन शैक्षणिक संस्थाओं से ज्ञान अर्जित करते हैं।

 

★बसंत पंचमी के दिन सभी शिक्षक व विद्यार्थी विद्यालय और अन्य शैक्षणिक और व्यवसायिक दफ्तरों में रखी गई माता सरस्वती की पूजा करते हैं। माता सरस्वती की वंदना कर उनके चरणों में नई किताब और ज्ञान से जुड़ी वस्तुएं अर्पित करते हैं। तत्पश्चात पीले रंग का प्रसाद बांटा जाता है।

 

★बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का बेहद महत्व है। इस दिन पीले रंग के वस्त्र को पहनना बेहद शुभ माना गया है।

2023 में बसंत पंचमी कब है?

बसंत पंचमी पूजा समय

पंचमी तिथि शुरू : 12:35 – 25 जनवरी 2023

पंचमी तिथि ख़त्म : 10:25 – 26 जनवरी 2023

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