बैसाखी का त्योहार कब ,क्यों और कैसे मनाया जाता है?

हमारा प्यारा भारत जिसमें विभिन्न संस्कृति का कला तथा विभिन्न विभिन्न त्योहारों के जोड़ का एक अद्भुत देश है जिस में भी एक अद्भुत व अतुल्य पर बैसाखी है जो कि किसी परमात्मा की नहीं अपितु गुरु की भक्ति के प्रति समर्पित होने वाला पर्व है।एक ऐसा पर्व जिसमें समर्पण और अध्यात्म आप को मनोनीत करता है।

बैसाखी मूल रूप से सिखों का पर्व है। पर बहुत से हिंदू  इस त्योहार को मनाते हैं। गुरु गोविंद सिंह जी(सिखों के दसवें गुरु) ने बैसाखी के मौके पर1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी। बैसाखी पारंपरिक रूप से हर वर्ष की 13 या 14 अप्रैल को मनाई जाती।

भारतीय राज्य पंजाब में बैसाखी के दिन  परंपरागत नृत्य भांगड़ा गिद्दा किया जाता है।

प्रातः काल 4:00 बजे गुरु ग्रंथ साहिब को समारोहकक्ष से बाहर की ओर लाया जाता है। उनका दूध में जल से स्नान करवाने के बाद उन्हें उनके तखत पर  बिठा दिया जाता है।

इसके बाद वे अपनी पंचबानी गाते हैं।

उनकी अरदास के बाद गुरु को प्रसाद का भोग लगाया जाता है।

भोग लगाने के पश्चात लंगर शुरू किया जाता है। जिसमें हजारों श्रद्धालुशामिल होते हैं

गुरु गोविंद सिंह जी के सम्मान में कीर्तन कराए जाते हैं। स्वर्ण मंदिर में इस दिन बहुत ही मनमोहक सजावट तथा करसेवा का कार्यक्रम कराया जाता है। जिसकी एक झलक भी देखते ही बनती है।

बहुत से लोग अपने रिश्तेदारों तथा पड़ोसियों के घर पर भी जाते हैं। उन्हें मिठाई खिलाते हैं। गले मिलते हैं और उनके साथ बैठक करते हैं।

सिखों के जैसे ही हिंदू समुदाय के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण पर्व है। माना जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व इसी दिन देवी गंगा धरती पर आई थी।

उन्हीं के सम्मान में हिंदू पारंपरिक स्नान के लिए गंगा के किनारे एकत्र होते हैं। और इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। गंगा नदी के साथ-साथ कावेरी और झेलम जैसी  पवित्र नदियों में भी श्रद्धालु डुबकी लगाने जाते हैं। मंदिरों में जाकर अपने सगे संबंधियों के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।

बैसाखी पर्व सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। यह और अन्य देश जैसे पाकिस्तान,संयुक्त राज्य अमेरिका यूनाइटेड किंगडम,कनाडा और मलेशिया में भी इस पर्व को मनाया जाता है।

बैसाखी-पाकिस्तान में

बंटवारे के बाद पंजाब का काफी हिस्सा पाकिस्तान में चला गया था। जहां पर आज भी कई सिख रहते हैं। पाकिस्तान में आज भी कई ऐसी ऐतिहासिक स्थान है।

जो सिख धर्म के लिए बहुत महत्व रखते हैं। जैसे गुरु नानक जी का जन्म स्थान। यह जगह बहुत से तीर्थ यात्रियों को आकर्षित करते हैं। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर से सिख धर्म से संबंध रखने वाले लोग यहां जाना पसंद करते हैं। भारत से विपरीत पाकिस्तान के पंजाब में बैसाखी पर कोई अधिकारी का अवकाश नहीं होता। यहां इस्लामी पर्व पर अवकाश अधिकारिक रूप से मान्य है। इन सब के बावजूद भी पाकिस्तान के पंजाब में सिख धर्म के लोग बैसाखी को गुरुद्वारे में एक केंद्रित होकरबेहद धूमधाम से मनाते हैं।

यूनाइटेड किंगडम

यूनाइटेड किंगडम में एक बड़ा समुदाय भारतीय सिख समुदायों का है। जो कि अफगानिस्तान तथा अफ्रीका से आए हैं। यूनाइटेड किंगडम में सिखों की ज्यादा तादाद लंदन में मिलती है बैसाखी के मौके पर वहां पर साउथन नगर कीर्तन सभा  वैशाखी से 2 दिन पहले ही आयोजित कर दी जाती है।

कनाडा

अगर हम कनाडा को मिनी पंजाब कहे तो गलत नहीं होगा। हमारे यहां से ना जाने कितने सिख कनाडा जाते हैं। और कितने जाने का सपना देखते हैं। अच्छी खासी संख्या होने के कारण कनाडा में बैसाखी बहुत ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है। बैसाखी की कनाडा में आधिकारिक अवकाश मान्यता प्राप्त है। बैसाखी के अवसर पर सिख समुदाय वैशाखी समारोह आयोजित करते हैं, जिसमें लाखों की संख्या में लोग शामिल होते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका

अन्य देशों की तरह ही सिख समुदाय संयुक्त राज्य अमेरिका में भी बैसाखी को मनाते हैं। परंतु यहां एक बहुत बड़ा आयोजन ना कर कर यहां एक छोटी सी परेड ही निकालते हैं। लोग “निशुल्क सेवा” जैसे लंगर करना और अन्य किसी और अन्य किसी श्रम को पूरा करने के लिए बाहर निकलते हैं। कई सिख समुदाय कई गुरुद्वारों में एक पूर्ण दिवस कीर्तन जोकि आध्यात्मिक होता है, उसे आयोजित कराते हैं।

2023 बैसाखी का शुभ मुहूर्त

बैसाखी संक्रान्ति का क्षण – 03:12 PM
मेष संक्रान्ति शुक्रवार, अप्रैल 14, 2023

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